बेटियां

चांदनी उतरी है मेरे अंगना

बजा ढोलिये ढोल जोर से

बेटी ने घर जनम लिया

 गत जन्मो में मैंने कैसा कितना जाने पुण्य किया

उन कर्मो का फल पाया हैं घर बेटी का जन्म आया है

राम रखियो खुश बेटी को होवे कभी तंग ना

चांदनी उतरी है मेरे अंगना ||


तू खुश है तो मै खुश हूँ कैसे राम लिखे लेखा

बाबुल की भीगी आँखों को किसने पोछा औ देखा

ले आशीष पिता की बेटी छुटे मेहँदी ना

चांदनी उतरी है मेरे अंगना ||


जब लोटे सजना के घर से ऐसी हंसी अधर धरना

मै ये समझूँ खुश है बेटी दुःख की बाते मत करना

सूरज चन्द्र जब तक चमके खनके तोरे कंगना


चांदनी उतरी है मेरे अंगना ||



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