Lack of education

 Learning is a continuous process .There is no age limit of learning.   Not only we take lessions from our elders but we learn from our youngers too .Sometimes we learn from others such a thing that plays a vital role in our life and save us from so many troubles and difficulties . Today I am going to describe  an event of my life when i realized the vitality of education.

Whenever i remember the time of tragic death of my grandmother and think over the words of consolation of our neighbours , i feel more pain than what they console. This is because of lack of education. Actually they wanted to console  but the words spoken by them were not timely driven .

Generally neighbours feel an affiliation with the hurted persons.
To pay homage to the departed sole, the neighbours covered the body by the sheets of clothes. Persons were actually doing it but they were saying seeing the large number of bed sheets that “the old women had been loaded” which sounds to be pathetic. They would have said that the old lady was so kind that a large no of persons attended the funeral and paying homage .

This prove the significance and importance of education.
Had they been educated they would not have spoken those painful words.


                    उम्मीद
 
संकट यूँ गुज़र जायेगा 
नया सवेरा भी आयेगा
रात की अँधेरी छाया गुज़र जायगी
सुबह की नई रोशनी भी आयगी

ऐसा कोई व्यक्ति नहीं हैं जिसने असफलताओं का सामना न किया हो | जितने भी महान लोग हुए हैं वे हर कदम पर सफल नही रहे , उन्होंने भी नाकामयाबी को अपनी ताकत बनाया | वे हारे नहीं बल्कि और ऊर्जा के साथ आगे बढे | उन्ही से प्रेरणा लेकर मैंने अपने भावों को कविता का रूप देने की कोशिश की हैं |

बेबस हालात गुज़र जायंगे
नए अवसर भी आयेंगे
मन की ख़ामोशी भी चली जाएगी
आवाज अपनी भी लौट के आयगी  

आप गाँधी जी को ले लीजिये ,चैपलिन ,बिलगेट्स ,या फिर धीरू भाई अम्बानी की जिन्दगी पर नज़र डालिए इन सब ने असफलताओं का सामना किया हैं | जिन वैज्ञानिको ने आविष्कार किये या जिन लेखकों ने  नॉवेल लिखे उन्होंने भी जिन्दगी मैं संघर्ष किये हैं |

उम्मीद आपको बांधकर रखती हैं जिस दिन हम उम्मीद करना बंद कर देंगे उस दिन आप जीना बंद कर देंगे |
मुझे ऐसा लगता हैं कि आशावादी होना आसान हैं और मुश्किल भी हैं | आसान इसलिए क्योंकि यह जिन्दगी चलाने का आसान तरीका हैं , उमीदे जिन्दा होती हैं तो आप दुखी कम होते हैं |
मुश्किल इसलिए अगर आप के पास उम्मीद ही नही हैं न ही आप किसी भी चीज को पाने के लिए प्रयास करोगे न ही जिन्दा रहोगे |
इसलिए मैं कहता हूँ
HOPE IS LIFE .......








         एक दीपक तो जला होगा 
सोचा था शहर में एक दीपक तो जला होगा

अँधेरी भीगी सी रात में रोशनी का कोई तो निशाँ होगा

सडको पर कहने को बत्तिया तो टिमटिमा रही थी

 पर पूरे शहर में आसरे की परछाई भी नहीं थी ||



सिर्फ भीगी रात मेरा पता पूछ रही थी

दीवारों को देखा तो वो भी मुह मोड़े खड़ी थी

विकल्पों की दुनिया में स्थिरता ढूँढ रहा था

भूल गया था ये दुनिया इंसानियत की बाघी हो चुकी थी ||


 सालों चलता रहा  जिस  पगडंडी पर मै

आगे चलकर देखा वो किसी और रास्ते से मिल चुकी थी

मैंने खाली सड़क से पूछा , आदमी यहाँ कुछ पल तो रुका होगा
सोचा था शहर में , एक दीपक तो जला होगा ||


शाम का पंछी भी मुहँ मोड़ के निकला है मुझसे
मेरी गलती को दिखा सके वो आइना तो बना होगा

रास्ते भी टेढ़े हो गए है कारवां को बहकाने के लिए
समय जैसे ठहर गया हो संयम आजमाने के लिए ||


अँधेरा चुप है बेबस है खामोश है पर साथ खड़ा तो है  

उजाला तो सिर झुकाए बैठा नज़रे मिलाता ही नहीं है

पर सोचता हूँ सूरज से नजरें मिलानी होंगी

मंजिल तक पहुँच सकूँ ऐसी अपनी राह खुद बनानी होगी ||


रास्ते के उजाले मांगे रोशनी मुझसे

अपनी हस्ती इतनी रोशन बनानी होगी  

ऐसा कर आगे बढूँ यहीं किस्मत में लिखा होगा

सोचा था शहर में , एक दीपक तो जला होगा

अँधेरी भीगी सी रात में , रोशनी का कोई तो निशां होगा ||


         क्या कहूँ आप से

राज की बात हैं क्या कहूँ  आप से
हर तरफ मात हैं क्या कहूँ  आप से
अँधेरी रात की चादरों ने हमे ढक लिया
वक्त की बात हैं क्या कहूँ  आप से
मुश्किलें सफ़र की हैं अपनी जगह
और फिर दर्द हैं क्या कहूँ  आप से
खों गये आँख से सारे मौसम मगर
सिर्फ बरसात हैं क्या कहूँ  आप से
महके महके से हैं अब मेरे रात दिन

किसकी सौगात हैं क्या कहूँ  आप से ||

             
          वो भी क्या वक्त था



मौसम की तब्दीली कहिये या पतझड़ का बहाना था
पेड़ को तो बस शूखे पत्तों से छुटकारा पाना था



तेरी सूरत पढ़ कर मुझको सोच लिया करते थे लोग
वो भी था एक वक्त कभी ऐसा भी एक जमाना था

    


रेशा रेशा होकर अब बिखरी हैं मेरे आँगन में
रिश्तों की वो चादर जिसका वो ताना मैं बना था



उन गलियों में अब बेगानेपन के डेरे हैं
जिन गललियों में हमारा अक्षर आना जाना था   














          कदम बढाओ
                                 
जरा कदम बढाओ समय आपका हैं
संसार में छा जाओ समय आपका हैं 

प्रश्नो को सुलझाने का मौसम आया
राहें  नई बनाने का मौसम आया
गीत क्रांति के गाने का मौसम आया हैं
क्रांति दूत बन जाओ समय आपका हैं
दुनिया पर छा जाओ समय आपका हैं ||

सबको गले लगाओ समय आपका हैं
संसार में छा जाओ समय आपका हैं
 गीत सुनाओ प्रेम और सच्चाई के
नगमे गाओ रोज नई ऊंचाई के
 जरा कदम बढाओ समय आपका हैं
संसार में छा जाओ समय आपका हैं ||




                       आदमी


चुपचाप क्यूँ सहेगा आखिर वो इन्सान हैं

हालात से लड़ेगा आखिर वो इंसान हैं

हर एक की सुनेगा आखिर वो आदमी हैं

अपनी डगर चलेगा आखिर वो आदमी हैं

कोशिश हैं उसका मजहब हिम्मत हैं उसकी दौलत 

गिर –गिर के फिर उठेगा आखिर वो आदमी हैं

कितना नफा हैं क्या हैं नुकसान सोचह लेगा

फिर दोस्ती करेगा आखिर वो आदमी हैं

भूले से भी न रखना आइना उसके आगे

खुद से बहुत डरेगा आखिर वो आदमी हैं ||
















                   गाँव



कुछ गाँव की मिटटी की महक कुछ पेड़ों की छाओं

चिठी के संग भेजना मुझको थोडा गाँव

हानी लाभ की सोच कर जो बदले प्रतिमान

वो ही बाजी जीतते वो ही चतुर सुजान

गाँव गाँव फूले फले प्रेम प्यार का विश्वाश

नगर निवासी झेलते रिश्तों का सन्यास

सबंधो पर छा गई  शंकाओं की धूल

पहले जो अनुकूल थे वे सब प्रतिकूल ||



         महिमा महंगाई की



ऐ महंगाई इस दुनिया मैं तेरा ही बोल बाला

तेरे आने से अच्छे –अच्छो का निकल रहा दिवाला

क्योंकि तेरे आने का कोई मौसम नही आता

जब तू आती हैं तो तेरा प्रवहा कम नहीं होता

तू छू रही आसमां को तो धरती वालो को क्यों सताती हैं

बरसाती मेंढक की तरह तू उछल उछल कर  आती हैं

हम चाहे लाख कोशिश कर ले पर तू नही घटती हैं

भूचाल की तरह आती हैं ज्वालामुखी की तरह फटती हैं

तू राज बदल देती हैं समाज बदल देती हैं

तू लोगो के जीने का अंदाज बदल देती हैं

प्रथ्वी के लिए तू भार हैं गरीबों के लिए तलवार हैं

मेरी इस कविता की पंकितियों मैं तेरा तिरस्कार हैं 

तेरी इस अद्भुत महिमा से केवल सस्ता हैं इन्सान

ऐ महंगाई इस दुनियां से तू हो जा अंतरध्यान ||



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