यादें
मेरा होकर भी नहीं कहता कि मैं तेरा हूँ
बस ये ही एक कमी हैं मेरे हरजाई में
दाद जिन गज़लो
पे देता नहीं महफ़िल में कभी
गुनगुनाता हूँ उन्ही गज़लो को तन्हाई मैं ||
जो हम पर गुजरती हैं सुनाई नहीं हमने
दिल की कोई चोट दिखाई नहीं हमने
वो बात जो कह देते हैं हम तुमसे
वो बात तो ख़ुद को भी बताई नहीं हमने ||
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