देश प्रेम का बिगुल

देश की एकता और  अखंडता  तथा सर्वप्रथम संभव एवं सांप्रदायिक सद्भाव  के परिपेक्ष में प्रुस्तुत कविता -;

देश की अखंडता को खंड्ता जरूरी हैं पर

खंड्ता हो देश मैं अलगाव की विचारो की

मंदिरों में पाठ हो या इबादत हो मजीद्दो में

गुरुद्वारों में ध्वनी गुरु ग्रंथ के प्रचार की 

राम और रहीम एक ,गीता और कुरान एक

निशानी मिटानी होगी मजहबी दीवार की

आओ साथ साथ चले और गाँव गाँव चले

भावना जगाने देश प्रेम के विचार की

राष्ट्र प्रेम को जगायें शहीदों को याद कर

चिंता करनी होगी शहीदों के परिवार की

तुझको नमन है शहीदाने वतन बार बार

चन्दन बन गई मिटटी शहीदों के दीवार की ||



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