हिन्दुस्तान
सुलग रही हैं सारी धरती झुलस रहा
उद्यान रे
इसे बचा लो मेरे भैया डूबा हिन्दुस्तान रे |
आग भले ही दूर लगे पर लपट सभी तक आयगी
आंधी सब कुटियाँ महलो के जलते दीप बुझायगी
सावधान मेरे यारों देश बिखरने वाला है
अमर शहीदों के सपनो की नीद उजड़ने वाला हैं
हो न जाए बंजर धरती स्वर्ण धरा शमशान रे
इसे बचा लो मरे भैया डूबा हिन्दुस्तान रे
रोज इबादत उनकी करता जो भारत के लिए मरे
और सीचता उन वृक्षों को जिनके पत्ते हरे झरे
मेरे घर तस्वीर उन्ही की नहीं किसी भगवान की
धर्म न बदलो हालत बदलो अपने हिन्दुस्तान की
जो भारत के लिए मिटेगा होगा वही महान रे
इसे बचा लो मेरे भैया डूबा हिन्दुस्तान रे
कुछ मुट्ठी में हैं तो सूरज कुछ मुट्ठी
में चंद्रमा
इस आँगन धरती आधी एक आँगन में आसमां
सब अंधेरो की मुस्काने अब कुछ अंधेरो में ठहरी हैं
गाँव गाँव हर शहर की गलियां गूंगी बहरी हैं
परिवर्तन हैं अपने हाथो बदलो देश जहाँ रे
इसे बचा लो मरे भैया डूबा हिन्दुस्तान रे
0 comments:
Post a Comment