गाँव



कुछ गाँव की मिटटी की महक कुछ पेड़ों की छाओं

चिठी के संग भेजना मुझको थोडा गाँव

हानी लाभ की सोच कर जो बदले प्रतिमान

वो ही बाजी जीतते वो ही चतुर सुजान

गाँव गाँव फूले फले प्रेम प्यार का विश्वाश

नगर निवासी झेलते रिश्तों का सन्यास

सबंधो पर छा गई  शंकाओं की धूल

पहले जो अनुकूल थे वे सब प्रतिकूल ||



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