आदमी


चुपचाप क्यूँ सहेगा आखिर वो इन्सान हैं

हालात से लड़ेगा आखिर वो इंसान हैं

हर एक की सुनेगा आखिर वो आदमी हैं

अपनी डगर चलेगा आखिर वो आदमी हैं

कोशिश हैं उसका मजहब हिम्मत हैं उसकी दौलत 

गिर –गिर के फिर उठेगा आखिर वो आदमी हैं

कितना नफा हैं क्या हैं नुकसान सोचह लेगा

फिर दोस्ती करेगा आखिर वो आदमी हैं

भूले से भी न रखना आइना उसके आगे

खुद से बहुत डरेगा आखिर वो आदमी हैं ||
















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