चिंतन
दोनों ही प्यारे मुझे ,दोनों से ही प्रीत
राजा हो या रंक हो दुखड़ा एक समान
जिसकी बेटी खुश रहे बस वो ही धनवान
मुन्ना तो सुनता नहीं क्या हैं अजब रिवाज
मुन्नी उठकर दौड़ती जब जब दू आवाज ||
घर की सब चहल –पहल हैं बेटी,
जीवन में खिला कमल हैं बेटी
कभी धूप गुनगुनी सुहानी
कभी चंदा शीतल हैं बेटी ||
शिक्षा गुण संस्कार रोप दो
फिर बेटो से सबल हैं बेटी
सहारा दो अगर विश्वास का
तो पावन गंगाजल हैं बेटी ||
प्रकर्ति के सद्गुण सींचो
तो प्रकति की निश्छल हैं बेटी
क्यों डरते हो पैदा करने से
अरे आने वाला कल हैं बेटी ||
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